जनताना सरकार ने किया परिसीमन, अबूझमाड़ में हुई एसजेडसी की मीटिंग में लिया गया फैसला
किरन्दुल थाना क्षेत्र के मडकामीरास, हिरौली और गुमियापाल को मलांगिर एरिया कमेटी से निकाला
पश्चिम बस्तर डिवीजन के गगालूर एरिया कमेटी से जोड़ा, पहाड़ के इस पार और उस पार पश्चिम बस्तर के माओवादियों का कब्जा
दंतेवाड़ा। माओवादियों की सबसे मजबूत माने जाने वाली दरभा डिवीजन से शीर्ष नेताओं का मोहभंग हो रहा है या ये कहा जाए फोर्स के बढते दबाव के चलते हांसिए पर पहुंच गई। 2021 मार्च में अबूझमाड़ के जंगलों में एसजेडसी की मीटिंग हुई। इस मीटिंग मेें माओवादी नेताओं ने बड़े बदलाव किए हैं। ये बदलाव ऐसे ही नहीं हुए हैं, जनताना सरकार ने बकायदा परिसीमन किया है। दरभा डिवीजन की मंलेगिर एरिया कमेटी से मडक़ामीरास, हिरौली और गुमियापाल पंचायत को पश्चिम बस्तर डिवीजन की गंगालूर एरिया कमेटी से जोड़ा गया है। इन पंचायतों के हटने से पहाड़ के इस पार और उस पार पश्चिम बस्तर डीवीजन का कब्जा हो गया।

माओवादियों के शीर्ष नेताओं के निर्देश पर हुए इस परिसीमन से दरभा डिवीजन सिकुड़ चुकी है। पुलिस अधिकारियों का दावा है कि अब आयरन हिल के इलाके में पश्चिम बस्तर के माओवादियों का हस्तक्षेप है। दरभा डिवीजन के सिमटने के पीछे तीन जिलों के फोर्स का दबाव रहा है। बस्तर, दंतेवाड़ा और सुकमा ने दरभा डिवीजन को दबाव में ला दिया। निरंतर हुई गिरफ्तारी, समपर्ण और मुठभेड़ों ने सबसे मजबूत डिवीजन की कमर तोड़ दी है।
एसजेडसीएम श्याम उर्फ चैतू दादा ने किया परिसीमन
मार्च माह में दरभा डिवीजन इंचार्ज एसजेडसीएम श्याम उर्फ चैतू दादा ने दक्षिण बस्तर डिवीजन के केरलापाल एरियाकमेटी से हटाकर 11 गांव को मलेंगिर एरिया कमेटी में शामिल किया। मलांगेर एरिया कमेटी के किरन्दुल इलाके से कुछ गांव को हटाकर पश्यिम बस्तर डिवीजन के गंगालूर एरिया कमेटी से जोड़ा। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इसा बदलाव से साफ है कि माओवादियों की दरभा डिवीजन बेहद कमजोर हो गई है। इसलिए पश्चिम बस्तर डिवीजन से दरभा डिवीजन के गांव को जोड़ा गया है, लेकिन आने वाले समय में पहाड़ के उस पर भी ऑपरेशन लांच होंगे। पश्चिम बस्तर डिवीजन के माओवादियों पर दबाव बनाया जाएगा।
दरभा डिवीजन ने देश को हिला देने वाली वारदातों को दिया अंजाम
दरभा डिवीजन ने कई बड़ी वारदातों को अंजाम दिया है। इन वारदातों का जिक्र भर करने से सिरहन दौड़ जाती है। इसी तरह की एक बड़ी वारदात है झीरम कांड। जी हां 25 मई 2013 का झीरम कांड। इस वारदात को दरभा डिवीजन ने ही अंजाम दिया। कांग्रेस के राज्य स्तरीय नेताओं को माओवादियों ने निशाना बनाया था। कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा के दौरान यह हमला किया गया था।
नेता प्रतिपक्ष सहित कांग्रेस 30 से अधिक नेता शहीद हो गए थे। इस हमले ने पूरे देश को चौंका दिया था। ऐसी ही एक और बड़ी वारदात को दरभा डिवीजन ने अंजाम दिया। लोकसभा चुनाव के दौरान दंतेवाड़ा विधान सभा के तत्कालीन विधायक भीमा मंडावी के बुलेट प्रूफ वाहन को आईईडी ब्लास्ट कर उड़ाया। इसमें चार जवानों के साथ वे भी शहीद हो गए। 15 से ज्यादा आईईडी ब्लास्ट इसी डिवीजन के माओवादियों ने किए हैं। चिंगावरम में ब्लास्ट जिसमें 55 लोग मारे गए थे। हिरौली मैगजीन में हमला कर 20 टन से अधिक विस्फोटक लूटा था।
पिछले 10 सालों में 100 से अधिक जवानों को शहीद हुए हैं। झकझोर देने वाली बड़ी वारदातों की कर्णाधार माओवादियों की दरभा डिवीजन ही रहह है। पुलिस अधिकरी कहते है कि अब यह डिवीजन पूरी तरह से हांसिए पर आ चुकी है। जिस तरह से फोर्स ने दबाव बनाया है, उससे बड़ी संख्या में माओवादियों का समर्पण और गिरफ्तार हुई है। इसके अलावा मुठभेड़ में भी कई इनामी माओवादी इस डीवज के मारे गए हैं।
दर्भा डिवीजन में अब सिर्फ 40 सदस्य
पुलिस अधिकारी कहते है कि अब दरभा डिवीजन में सिर्फ 40 सदस्य ही बचे हैं। सीपीआई माओविस्ट का सबसे बड़ा और मजबूत डिवीजन दरभा था। माओवादी नेताओं ने 2006 में इस डिवीजन का गठन किया था। अब यह टूट कर दक्षिण बस्तर और पश्चिम बस्तर डिवीजन जुड़ गया है।
दरभा के कमजोर पडऩे से एनएमडीसी को खतरा बढ़ा है। पश्चिम बस्तर डिवीजन का पूरा मूव्हमेंट इसी इलाके में रहता है। दरभा डिवीजन बहुत मजबूत थी। इसकी तीन कमेटी थी। कांगेर वेली, कटेकल्याण और मलेंगिर एरिया कमेटी थी। इस पूरे डिवीजन में महज कुछ सदस्य ही बचें है।
किरन्दुल माईनिंग एरिया को देखते हुए वहां सतर्कता बरती जा रही है। सीआईएसएफ को हाईअलर्ट पर रखा है। साथ ही पश्चिम बस्तर पर शिकंजा कसने के लिए भी मास्टर प्लान तैयार कर लिया गया है। जल्द ही दरभा डिवीजन की तरह यह डिवीजन भी बिखर जाएगी।
किरंदुल थाना छेत्र के चोलनार में कांग्रेसी नेता एवं ठेकेदार पर हाल ही में हुए हमले में पश्चिम डिविजनल नक्सलियों हाथ – पुलिस
किरंदुल थाना छेत्र के चोलनार में कांग्रेसी नेता एवं ठेकेदार पर हाल ही में हुए हमले को पुलिस सूत्र पश्चिम डिविजनल के ही नक्सलियो का हाथ होने की ही आशंका जता रहे है ।
हमले के पीछे पुलिस घटना को नक्सली हमले से ही जोड़कर जांच कर रही है ।पुलिस का साफ कहना है घटना को नक्सली ही अंजाम दिये है पर करवाने वाले कोई और हो सकते है जिसका खुलासा बहुत जल्द पुलिस करेगी।
पश्चिम डिविजनल के नक्सली होने की वजह से ही घटना को अंजाम देने वालो को आते जाते 2 दर्जन सरपंचों एवं अन्य लोगो ने देखा पर अब तक शिनाख्त नही हो सकी है।
क्या कहा पुलिस कप्तान दंतेवाड़ा एसपी डॉ अभिषेक पल्लव ने
जनताना सरकार के परिसीमन पर जगदलपुर,सुकमा और दंतेवाड़ा की पुलिस ने दरभा डिवीजन पर बडा दबाव बनाया। इस दबाव के चलते इनामी नक्सलियों का समर्पण, गिरफ्तारी हुई। साथ ही कई मुठभेड़ में ईनामी माओवादी मारे गए। इसी लिए माड़ में माओवादियों को मीटिंग करनी पड़ी। इस एसजेडसी मीटिंग में परिसीमन करने का फैसला लिया गया। किरन्दुल थाना क्षेत्र के मडकामीरास, हिरौली और गुमियापाल को मलांगिर एरिया कमेटी से निकाला गया है। पश्चिम बस्तर डिवीजन के गगालूर एरिया कमेटी से जोड़ा, पहाड़ के इस पार और उस पार पश्चिम बस्तर के माओवादियों का कब्जा हो गया है। अब माओवादियों की पश्चिम बस्तर डिवीजन की कमर तोडऩे के लिए रणनीति तैयार कर रही है। दरभा डिवीजन की तरह इसका भी हश्र होगा।
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