दंतेवाड़ा में हो रहे चहुंमुखी विकास को देखकर भाजपा के पेट में हो रहा दर्द
दंतेवाड़ा जिले में हो रहे चहुंमुखी विकास को देखकर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को अपनी जमीन खिसकती हुई नजर आ रही है। कांग्रेस सरकार द्वारा की जा रही संवेदनशील जिला दंतेवाड़ा के गांव-गांव में विकास के कार्य, रोजगार, स्वास्थ्य, मूलभुत सुविधाएं उपलब्ध हो रही हैं, जिसे बीजेपी के नेता पचा नहीं पा रहे हैं। इससे उनका विकास विरोधी चेहरा अब पूरी तरह से सामने आ गया है। विकास का ढांेग रचाकर बीजेपी ने 15 साल तक जो राज किया है, उनके चेहरे से अब वो नकाब उतरता जा रहा है। बौखलाहट में बीजेपी के नेता अर्नगर्ल प्रलाप कर दंतेवाड़ा की जनता को गुमराह करने की प्रयास रहे हैं, जो कभी कामयाब नहीं हो पाएंगे। इस तरह का बयान देकर बीजेपी के नेता आगामी विधानसभा चुनाव में मात्र अपनी दावेदारी जताने की प्रयास कर रहे हैं। बीजेपी के नेता बेबुनियाद और बेतुकी ब्यानबाजी कर प्रदेश में बैठे अपने आकाओं को खुश करने के साथ पार्टी में अपना नंबर बढ़ाने ऐसा कर रहे हैं। उन्हें जिले के विकास से कोई सरोकार नहीं है। इनका एक ही उद्देश्य है आगामी विधानसभा चुनाव में दावेदारी कर टिकट प्राप्ती करना।
जिला कांग्रेस कमेटी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि मुरमीकरण मामले में जो आरोप जिपं उपाध्यक्ष सुभाष सुराना पर लगाए जा रहे हैं, सारे आरोप बेबुनियाद है। मुरमीकरण मामले में कलेक्टर द्वारा मामले की जांच की जा रही है और इस मामले में कलेक्टर से निष्पक्ष जांच के लिए कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने कही है। जांच के बाद इस मामले में सहीं तथ्य जल्द ही सबके सामने आ जाएगा और दूध का दूध, पानी का पानी हो जाएगा। जिले के विभिन्न पंचायतों के सरपंचों द्वारा विकास कार्यो हेतु मंत्री, सांसद, विधायक, जिपं अध्यक्ष, उपाध्यक्ष से अपने क्षेत्र के विकास हेतु विभिन्न कार्याे की अनुशंसा कराते हैं। साथ ही निर्माण कार्यो के लिए एजेंसी ग्राम पंचायत ही होती है। जिन कार्यो को लेकर जिपं उपाध्यक्ष पर आरोप लगाया जा रहा है, उन कार्यो में कहीं भी उनका नाम नहीं है। नक्सल इलाके में त्रिस्तरीय पंचायती राज के निवार्चित जनप्रतिनिधि जान जोखिम में डालकर अपने क्षेत्र के विकास के लिए तत्पर हैं। क्योंकि वर्तमान में छग की कांग्रेस सरकार अतिसंवेदनशील क्षेत्रों में विकास की जो मुहिम चला रही है, उससे क्षेत्र के निवार्चित जनप्रतिनिधि भी सरकार के ही पहल पर भयमुक्त होकर पंचायतों में विकास कार्य करवा रहे हैं। 15 वर्ष के बीजेपी के शासन में दंतेवाड़ा के भाजपा के नेताओं ने जितना भ्रष्टाचार किया है, यहां की जनता ने खुली आंखों से देखा है। यदि वे वाकई में जिले का सर्वांगिण विकास करते तो, आज भी यहां के लोग रोजगार,
स्वास्थ्य एवं मूलभुत सुविधाओं के लिए नहीं तरसते रहते। कांग्रेस के ढाई साल के कार्यकाल में विभिन्न विकास कार्यो के कारण ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन भी नगण्य हो चुकी है। बीजेपी के कार्यकाल में प्रत्येक ग्राम पंचायतों से हजारों की संख्या में रोजी-रोटी के लिए ग्रामीण दीगर प्रांतों में पलायन करते थे।
मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ, उनके साथ कोई भी हुई घटना की हम कड़ी निंदा करते हैं…
दंतेवाड़ा स्थित एक दैनिक अखबार के जिला कार्यालय में ग्रामीणों द्वारा घेराव किए जाने की खबरों की जानकारी मिली है, जिसकी हम कड़ी निंदा करते हैं। इस तरह के किसी भी प्रकार की घटना नहीं होनी चाहिए। यह स्वीकार्य नहीं है। लोकतंत्र में मीडिया शासन-प्रशासन को आईना दिखाने का कार्य करती है। इस तरह की घटना का कलेक्टर, एसपी द्वारा सुक्ष्मता के साथ जांच की जा रही है और घटना का सहीं तथ्य बहुत जल्दी सामने आ जाएगा। घटित घटना को लेकर जिपं उपाध्यक्ष सुभाष सुराना पर सीधे तौर पर ग्रामीणों को उकसाने की जो बातें आ रही है, उस पर भी जांच हो रही है। दक्षिण बस्तर की मीडिया संवेदनशील क्षेत्रों में बहुत ही बेहतर ढंग से और जान जोखिम में डालकर काम करती है, यह सर्वविदीत है। इसकी जितनी तारिफ की जाए कम है। उसी तरह नक्सल प्रभावित इलाके के सरपंच भी जान जोखिम में डालकर विकास कार्यो में अग्रणी बने हुए हैं। प्रदेश के पत्रकारों के लिए छग की कांग्रेस सरकार संवेदनशील है।
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